1 . उर्स गरीब नवाज-अजमेर :- ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती का 1256 ई. में एकांत वास में 6 दिन की प्रार्थना के पश्चात् स्वर्गवास हो गया।
- अजमेर में ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की मृत्यु की बरसी के रूप में 1 से 6 रज्जब तक ख्वाजा का उर्स मनाया जाता है।
- अजमेर के ऐतिहासिक बुलंद दरवाजे पर झंडा चढ़ने के साथ ही उर्स की अनौपचारिक शुरुआत होती है।
- अजमेर में इस उर्स के दौरान सामाजिक सद्भाव व राष्ट्री य एकता का अनूठा संगम दिखाई देता है।
2. तारकीन का उर्स-नागौर :- नागौर में सूफियों की चिश्ती शाखा के संत काजी हमीदुद्दीन नागौरी की दरगाह है जहाँ पर अजमेर के बाद सबसे बड़ा उर्स भरता है।
3. गलियाकोट का उर्स-डूँगरपुर :- माही नदी के निकट स्थित गलियाकोट ने दाऊदी बोहरों का प्रमुख तीर्थ स्थान है। यहाँ फखरुद्दीन पीर की मजार भी है।
- यहाँ पर प्रतिवर्ष उर्स आयोजित किया जाता है।
4. नरहड़ की दरगाह का मेला-झुंझुनूँ:- झुंझुनूँ जिले के नरहड़ गाँव में ‘हजरत हाजिब शक्कर बादशाह’ की दरगाह है जो शक्कर पीर बाबा की दरगाह के नाम से प्रसिद्ध है।
यहाँ कृष्ण जन्माष्टमी के दिन विशाल मेला लगता है।
5. ख्वाजा नजमुद्दीनशाह का उर्स :- फतेहपुर (सीकर)।